राजस्थान के लिए सरसो की सबसे अच्छी किस्में जो देगी करोड़ो का मुनाफा और अच्छी पैदावार

Mustard farming

सभी किसान भाईयो को नमस्ते तो अभी आने वाला है रबी का सीजन जिसमे  गेहूं, जौं, चना, सरसों, मटर, बरसीम, रिजका‌, हरा चारा, मसूर, आलू, राई,तम्‍बाकू, लाही, जई, अलसी और सूरजमुखी आदि और भी कई प्रमुख रबी की फसलों की बुआई रबी के सीजन मे होती है जिसमे हम अब जानेंगे सरसो के बारे मे की किस प्रकार इसकी पैदावार बढ़ाई जा सके

सरसो की खेती

सरसो की सबसे अच्छी किस्मे

सरसों के बीज की उन्नत किस्में (Mustard Varieties) भारत में विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित की गई हैं ताकि किसानों को अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता मिल सके। कुछ प्रमुख उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं:

पुसा विजय (Pusa Vijay)
यह किस्म उच्च उत्पादन देने वाली और जल्दी पकने वाली किस्म है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है।
इसके बीजों से सरसों का तेल अच्छा प्राप्त होता है।


पुसा सरसों 26 (Pusa Mustard 26)
यह एक उन्नत किस्म है जो जल्दी पकने वाली और रोग प्रतिरोधक होती है।बीज उत्पादन क्षमता अच्छी होती है और इसके तेल में भी गुणवत्ता बेहतर होती है।


आरएच 30 (RH 30)
यह किस्म अच्छी पैदावार देती है और इसे कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जाता है।
इसमें रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी होती है।


वर्धन (Vardan)
यह किस्म सूखा सहन करने वाली और अधिक पैदावार देने वाली है।
इसकी खेती सूखाग्रस्त क्षेत्रों में की जा सकती है।


गीरनार (Girnar)
यह एक उच्च उपज देने वाली किस्म है, जो रोग और कीटों के प्रति प्रतिरोधक होती है।
इसके बीजों से तेल की मात्रा भी अधिक होती है।


आरएच 749 (RH 749)
यह एक नई विकसित किस्म है जो उन्नत कृषि तकनीकों के साथ उगाई जा सकती है।
इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता और अच्छी तेल उत्पादन क्षमता होती है।


वरुणा (Varuna)
यह सबसे प्रचलित और व्यापक रूप से उगाई जाने वाली किस्म है।
यह विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है और इसकी उत्पादन क्षमता भी बेहतर होती है।
इन उन्नत किस्मों का उपयोग करके किसान अधिक पैदावार, अच्छी गुणवत्ता का सरसों तेल और कम समय में फसल प्राप्त कर सकते हैं।

सरसो की अच्छी पैदावार के लिए खाद

सरसों की अच्छी पैदावार के लिए निम्नलिखित खादों का उपयोग किया जा सकता है:

  1. नाइट्रोजन (N) युक्त उर्वरक: यूरिया या अमोनियम सल्फेट का उपयोग किया जा सकता है। यह पौधे की वृद्धि में सहायक होता है और हरे पत्तों को बढ़ावा देता है।
  2. फॉस्फोरस (P) युक्त उर्वरक: सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) या डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का प्रयोग किया जा सकता है। यह जड़ और बीज के विकास में मदद करता है।
  3. पोटाश (K) युक्त उर्वरक: म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) या सल्फेट ऑफ पोटाश (SOP) का इस्तेमाल करें। यह पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उत्पादन को बेहतर बनाता है।
  4. जैविक खाद: गोबर की खाद, कम्पोस्ट, या वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने के लिए किया जा सकता है।
  5. सल्फर: सरसों के पौधे को सल्फर की भी आवश्यकता होती है। सल्फर युक्त उर्वरक जैसे जिप्सम का उपयोग किया जा सकता है।

समय-समय पर मिट्टी की जाँच कराकर आवश्यकतानुसार उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए

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